मानव तंत्रिका तंत्र - Human Nervous System
तंत्रिका तंत्र :-
हमारे शरीर के सभी अंग
परस्पर समन्वय के साथ कार्य करते है | इन अंगो के समन्वय के लिए कार्य करने वाला
अंग तंत्रिका तंत्र होता है |
तंत्रिका तंत्र सभी कोशिकाओ
के कार्य को नियंत्रित नहीं कर पता है इसलिए अन्य तंत्र जिसे अन्तः स्त्रावी तंत्र
कहा जाता है, कार्य करता है |
यह तंत्रों के मध्य समन्वय
को बेहतर ढंग से स्थापित करने में मदद करता है |
अन्तःस्त्रावी तंत्र मे कई
नलिकाविहीन ग्रंथियां हार्मोन्स स्त्रावित करती है | ये हार्मोन्स कोशिकाओं के
मध्य संदेशवाहक होते है |
मानव तंत्रिका तंत्र (Human Nervous System ):-
मानव तंत्रिका तंत्र एक ऐसा
तंत्र है जो अंगो मध्य सामंजस्य स्थापित करता है | ये विभिन्न अंगों को नियंत्रित
करता है |
तन्त्रिका तंत्र को दो
भागों में विभाजित किया गया है –
·
केन्द्रीय तंत्रिका तंत्र
·
परिधीय तंत्रिका तंत्र
केन्द्रीय तंत्रिका तंत्र (Central Nervous System) :-
केन्द्रीय तंत्रिका तंत्र
में मुख्य रूप से मस्तिष्क,मेरुरज्जु तथा इसमें
से निकलने वाली तंत्रिका कोशिकाएं शामिल होती है |
मस्तिष्क :-
मस्तिष्क मानव शरीर का एक
केन्द्रीय अंग है | ये सूचनाओं का विनिमय तथा अंगो पर नियंत्रण करता है | ये शरीर
के क्रियाकलापों को नियंत्रित करता है |
स्वस्थ मस्तिष्क का वजन लगभग 1.4 किलो
होता है | इसे दिमाग भी कहा जाता है |
मस्तिष्क के तीन भाग होते
है –
अग्र मस्तिष्क
मध्य मस्तिष्क
पश्च मस्तिष्क
मेरुरज्जु :-
मेरुरज्जु लगभग 5 सेमी
लम्बी होती है | यह केन्द्रीय तंत्रिका
तंत्र का एक महत्वपूर्ण अंग है | पश्च मस्तिष्क मध्यांश के द्वारा मेरुरज्जु से
जुडा होता है | मेरुरज्जु एक तंत्रिका नाल है | ये कशेरुकाओं के मध्य में
सुरक्षित रहता है |
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मेरुरज्जु |
उसके मध्य भाग में एक संकरी केन्द्रीय नाल होती है | जिससे दो स्तर की मोटी दीवार घेरे हुए होती है | भीतरी स्तर को धूसर द्रव्य तथा बाहरी स्तर को श्वेत द्रव्य कहा जाता है | घूसर द्रव्य मेरुरज्जु के भीतर उसके प्रारंभ अंत तक एक लम्बे स्तम्भ के रूप में स्थित होता है |
मेरुरज्जु मुख्यतः प्रतिवर्ती
क्रियाओं के संचालन एवं नियमन करने का कार्य करती है साथ ही मस्तिष्क से
प्राप्त तथा मस्तिष्क को जाने वाले आवेगों के लिए पथ प्रदान करता है |
परिधीय तंत्रिका तंत्र :-
यह मस्तिष्क तथा मेरुरज्जु
से निकलने वाली तंत्रिकाओं का समूह है जो केन्द्रीय तंत्रिका तंत्र को जाने व वहां
से आने वाले संदेशो को पहुँचाने का कार्य करता है | यह तंत्र केन्द्रीय तंत्र के
बाहर कार्य करता है | अतः इसे परिधीय तंत्र कहा जाता है |
इसके दो भाग होते है |
कायिक तंत्रिका तंत्र :-
यह तंत्र उन क्रियाओं को
सम्पादित करता है जो हम अपनी इच्छानुसार करते है | केन्द्रीय तंत्रिका तंत्र
इस तंत्र के सहारे ही बाह्य उत्तेजको पर प्रतिक्रिया तथा माँसपेशियों आदि
के कार्यों सम्पादित करता है |
स्वायत्त तंत्रिका तंत्र :-
यह तंत्र उन अंगो की
क्रियाओं का संचालन करता है | जो व्यक्ति की इच्छा से नहीं वरन स्वतः ही कार्य
करते है | जैसे हृदय, फेफड़े अन्तः स्त्रावी ग्रंथियां आदि | यह तंत्र तंत्रिका के समूहों
की एक श्रृंखला होती है | जिससे शरीर के तंत्रिका तंतु जुड़े होते है |
स्वायत्त तंत्रिका तंत्र को
दो भागों में वर्गीकृत किया गया है :-
अनुकम्पी तंत्रिका तंत्र
परानुकम्पी तंत्रिका तंत्र
अनुकम्पी तंत्रिका तंत्र :-
यह तंत्र व्यक्ति में सतकर्ता
तथा उत्तेजना को नियंत्रित करता है | यह तंत्र व्यक्ति के शरीर को आपातकालीन
परीस्तिथि में अतिरिक्त ऊर्जा प्रदान करता है | आपातकालीन स्थिति हृदय गति का
तेज होना, श्वांस का तेज होना आदि क्रियाएं अनुकम्पी तंत्रिका तंत्र द्वारा ही
सम्पादित की जाती है |
परानुकम्पी तंत्रिका तंत्र :-
यह तंत्र शारीरिक ऊर्जा का
संचयन करता है | यह तंत्र विश्राम अवस्था में क्रियाशील होकर ऊर्जा संचयन
करता है | यह तंत्र आँखों की पुतली को नियंत्रित करता है | तथा लार व पाचक
रसों में वृद्धि करता है |
तंत्रिका कोशिका :-
तंत्रिकोशिका या तंत्रिका
कोशिका तंत्रिका तंत्र की संरचनात्मक तथा क्रियात्मक इकाई है | जिसके द्वारा शरीर
में एक स्थान से दूसरे तक यह तंत्र संकेत भेजता है | ये कोशिकाएं शरीर के लगभग सभी
अंगो को जोड़े रखती है |
यह कोशिकाएं शरीर के अन्दर
तथा बाहर से उद्दीपन ग्रहण करती है | आवेगों के माध्यम से उद्दीपन एक से दूसरी
कोशिका में गमन करते हुए केन्द्रीय तंत्रिका तंत्र तक पहुँचता है |
केन्द्रीय तंत्र से प्राप्त
प्रतिक्रियात्मक संदेशो को वापस लाने का काम भी तंत्रिका कोशिका के माध्यम से होता
है |
प्रत्येक तंत्रिका कोशिका
तीन भागो से मिलकर बनी होती है |
कोशिका काय
द्रुमाक्ष्य
तंत्रिकाक्ष
कोशिका काय :-
इस भाग को साइटोन भी कहते
है | कोशिका काय में एक केन्द्रक तथा प्रारूपिक कोशिकांग होता है | कोशिका
द्रव्य में अभिलक्षणिक अति-अभिरंजित निसेल ग्रेन्युल पाए जाते है |
द्रुमाक्ष्य :-
ये कोशिकाकाय से निकलने
वाले तंतु है | जो कोशिका काय की शाखाओं
पर पाए जाते है | ये तंतु उद्दीपनो को कोशिकाकाय की तरफ भेजता है |
तंत्रिकाक्ष :-
यह लम्बा बेलनाकार प्रवर्ध
है जो कोशिका काय के एक हिस्से से शुरू होकर धागेनुमा शाखाएं बनाता है |
तंत्रिकाक्ष की प्रत्येक शाखा एक स्थूल संरचना का निर्माण करती है | जिसे अवग्रथनी
घुंडी या सिनैप्टिक नोब कहा जाता है |
सिनैप्टिक नोब में सिनैप्टिक पुटिकाएं पाई जाती है | सिनैप्टिक
पुटिकाओं में न्यूरोट्रांसमीटर नामक पदार्थ पाय जाते है | ये तंत्रिका आवेगों के
सम्प्रेषण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते है | तंत्रिकाक्ष क माध्यम से आवेग
न्यूरोन से बाहर निकलते है | एक न्यूरोन के द्रुमाक्ष्यके दुसरे न्यूरोन के
तंत्रिकाक्ष से मिलने के स्थान को संधि स्थल कहते है |
तंत्रिका तंत्र की कार्यिकी :-
कई तंत्रिकाएं मिलकर
कड़ीनुमा संरचना का निर्माण करते है | जो शरीर के विभिन्न अंगो को केन्द्रीय
तंत्रिका तंत्र से जोडती है | संवेदी तंत्रिकाए बहुत से उद्दीपनो को केन्द्रीय
तंत्रिका तंत्र तक पहुंचता है | यह कार्य विद्युतरासायनिक आवेग के जरिये सम्पादित
होते है | इनको तंत्रिका आवेग भी कहते है |
तंत्रिका आवेग तंत्रिकाक्ष
तक पहुँचते पहुँचते कमजोर हो जाते है | इन कमजोर आवेगों को संधि स्थलों पर
न्यूरोट्रांसमीटर द्वारा शक्तिशाली बना दिया जाता है | केन्द्रीय तंत्र से संचारित
संकेत जों चालक तंत्रिकाओं द्वारा प्रसारित किये जाते है | मांसपेशीयों तथा
ग्रंथियों को सक्रीय करते है |
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