अंतः स्रावी तंत्र - अंतः स्रावी ग्रंथियां
अंतः स्रावी तंत्र एक ऐसा तंर है जो तंत्रिका
तंत्र के साथ मिलकर शरीर की कोशिकीय क्रियाओं में समन्वय स्थापित करता है | तंत्रिका तंत्र संपूर्ण कोशिश की क्रियाओं का लंबी अवधि के लिए नियन्त्र
नहीं कर पाता अतः दीर्घावधि के निरंतर नियमन हेतु शरीर को अंतः स्रावी तंत्र
द्वारा स्रावित हार्मोन की आवश्यकता होती है | अंतः स्रावी तंत्र अंतः स्त्रावी
ग्रंथियों के माध्यम से कार्य करता है | ऐसी ग्रंथियां नलिका विहीन होती है तथा
अपने उत्पाद को सीधे रक्त धारा में स्त्रावित करती हैं | हमारे शरीर में कुछ ऐसी
ग्रंथियां में पाई जाती हैं जो अंतः स्त्रावी होने के साथ बाह्य स्त्रावी भी होती
हैं | उदाहरण के तौर पर अग्नाशय अंतः स्त्रावी ग्रंथि के रूप में इंसुलिन हार्मोन
तथा ग्लूकेगन करती है और बाह्य ग्रंथि के रूप में पाचक एंजाइम स्रावित करती है |
अंतः स्रावी ग्रंथियां हार्मोन स्रावित करने के अलावा उनको संग्रहित भी करती है |
मानव शरीर में विभिन्न स्त्रावी ग्रंथियां पाई जाती हैं जैसे :- हाइपोथैलेमस, पीयूष ग्रंथि, पीनियल ग्रंथि, थायराइड ग्रंथि, पैराथायराइड ग्रंथि, अधिवृक्क ग्रंथि, अग्नाशय, थाइमस, वृषण, अंडाशय इत्यादि |
इनके अतिरिक्त कुछ अंग जैसे यकृत आदि भी हार्मोन का स्त्राव करते हैं |
अंतः स्रावी तंत्र के द्वारा जो नियंत्रण स्थापित किया जाता है | उसमें हाइपोथैलेमस सर्वाधिक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है | हाइपोथैलेमस मस्तिष्क के विभिन्न क्षेत्रों के मध्य सूचना एकत्रित कर सूचनाओं को विभिन्न तंत्रिकाओं द्वारा पीयूष ग्रंथि तक पहुंचाती है |
पीयूष ग्रंथि सूचनाओं के आधार पर अपने विभिन्न स्त्राव की सहायता से प्रत्यक्ष तथा अप्रत्यक्ष रूप से अन्य ग्रंथियों की क्रियाओं को नियंत्रित करती है | यह हारमोंस मानव शरीर में वृद्धि एवं विकास और अन्य कई क्रियाओं को नियंत्रित तथा संपादित करते हैं |
प्रमुख मानव अंतः स्त्रावी ग्रंथियां :-
हाइपोथैलेमस :-
हाइपोथैलेमस अग्रमस्तिष्क का आधार भाग है मुख्य रूप से यह पीयूष ग्रंथि द्वारा स्रावित हार्मोन का संश्लेषण तथा स्त्राव का नियंत्रण करता है |
हाइपोथैलेमस में हार्मोन स्रावित करने वाली कई कोशिकाएं होती हैं | हाइपोथैलेमस दो प्रकार के हार्मोन का निर्माण करता है |
मोचक हार्मोन :- पीयूष ग्रंथि को हार्मोन स्त्राव के लिए प्रेरित करता है
निरोधी हार्मोन :- यह हार्मोन स्त्राव को रोकते हैं
पीयूष ग्रंथि :-
यह ग्रंथि मस्तिष्क में नीचे की तरफ हाइपोथैलेमस के नजदीक ही पाई जाती है |
पीयूष ग्रंथि दो भागों में विभक्त होती है :- एडिनोहाईपोफाइसिस
व न्यूरोहाइफाइसिस
एडिनोहाईपोफाइसिस को अग्र-पीयूष तथा न्यूरोहाइफाइसिस को पश्च-पीयूष कहा जाता है | यह शरीर की मास्टर ग्रंथि है | जो कई हार्मोन्स का निर्माण तथा स्त्रावण करती हैं जैसे वृद्धि हार्मोन, प्रोलेक्टिन, थायराइड, प्रेरक हार्मोन, ऑक्सीटॉसिन |
पीनियल ग्रंथि :-
एडिनोहाईपोफाइसिस को अग्र-पीयूष तथा न्यूरोहाइफाइसिस को पश्च-पीयूष कहा जाता है | यह शरीर की मास्टर ग्रंथि है | जो कई हार्मोन्स का निर्माण तथा स्त्रावण करती हैं जैसे वृद्धि हार्मोन, प्रोलेक्टिन, थायराइड, प्रेरक हार्मोन, ऑक्सीटॉसिन |
पीनियल ग्रंथि :-
यह ग्रंथि अगर मस्तिष्क के ऊपरी भाग में पाई जाती है | तथा मेलाटोनिन नामक हार्मोन का स्राव करती है | यह हार्मोन मुख्य रूप से शरीर के दैनिक लय के नियमन के लिए उत्तरदाई हैं |
थायराइड ग्रंथि :-
यह ग्रंथि श्वास नली के दोनों और स्थित होती हैं | तथा मुख्य रूप से थायरोक्सिन हार्मोन का निर्माण करती है | तथा इस हार्मोन का स्त्राव भी इसी के द्वारा किया जाता है | यह हार्मोन लाल रक्त कणिकाओं के निर्माण में मदद करता है | साथ ही कार्बोहाइड्रेट प्रोटीन तथा वसा के उपाचय को नियंत्रित करता है |
थायरोक्सिन हार्मोन के निर्माण हेतु आयोडीन की आवश्यकता होती है |
पैरा थायराइड ग्रंथि :-
गले में थायराइड ग्रंथि के पीछे पाई जाने वाली यह ग्रंथि पैराथार्मोन स्रावित करती हैं | इस हार्मोन का प्रमुख कार्य रुधिर में कैल्शियम तथा फास्फेट के स्तरों का नियंत्रण करना है | इस हार्मोन की कमी से टिटेनी रोग होता है |
अग्नाशय ग्रंथि :-
अग्नाशय ग्रंथि दो अंतः स्त्रावी हार्मोन का स्त्राव करती है इंसुलिन तथा ग्लुकेगोन |
इंसुलिन हार्मोन इस ग्रंथि में पाए जाने वाले लैंगरहैंस द्वीप की β कोशिकाओं तथा ग्लुकेगोन α कोशिकाओ से स्त्रावित होता है |
इंसुलिन का प्रमुख कार्य शर्करा को ग्लाइकोजन में परिवर्तित कर रक्त शर्करा को नियंत्रित करना है |
ग्लूकेगन इसके उल्टा कार्य करता है यह ग्लाइकोजन के शर्करा में अपघटन को प्रेरित करता है |
यह दोनों मिलकर रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रित करते हैं |
यदि किसी कारणवश रक्त में इंसुलिन की कमी हो जाती है तो रक्त में तथा मूत्र में शर्करा का स्तर बढ़ जाता है इससे मधुमेह रोग होता है |
अधिवृक्क ग्रंथि :-
वृक्कों के ऊपरी भाग में 1 जोड़ी अधिवृक्क ग्रंथि पाई जाती है | यह दो प्रकार के हार्मोन का स्त्राव करती है | जिन्हें एड्रिनेलीन तथा नारएड्रीनेलीन कहा जाता है |
यह हार्मोन शरीर को आपातकालीन स्थिति में सुरक्षित रखने का काम करते हैं | ऐसी स्थिति में यह हार्मोन अधिक तेजी से स्रावित होकर अनेक कार्य जैसे हृदय की धड़कन पुतलियों का फैलाव आदि को नियंत्रित करते हैं |
इस हार्मोन को आपातकालीन हार्मोन भी कहा जाता है
थाइमस ग्रंथि :-
थाइमस ग्रंथि तथा महाधमनीके ऊपरी भाग में स्थित होती हैं यह थाईमोक्सिन नामक एक पेप्टाइड हार्मोन का स्त्राव करती है |
छोटे बच्चों में यह ग्रंथि सर्वाधिक विकसित होती है परंतु किशोरावस्था के पश्चात यह सिकुड़ जाती हैं |
वृषण ग्रंथि :-
यह ग्रंथि केवल नरों में पाई जाती है | यह लैंगिक अंग है | जो टेस्टोस्टेरोन नामक नर हार्मोन का स्राव करता है |
यह हार्मोन लैंगिक अंगों का विकास तथा शुक्राणुओं की निर्माण की प्रक्रिया में प्रेरक भूमिका निभाता है |
अंडाशय ग्रंथि :-
यह ग्रंथि केवल मादाओं में पाई जाती हैं | यह ग्रंथि एस्ट्रोजन तथा प्रोजेस्ट्रोन नामक हार्मोन का स्त्राव करती हैं |
यह हार्मोन लैंगिक अंगों का विकास लक्षणों का नियंत्रण मासिक चक्र का नियंत्रण आदि में सहायक है |
यह भी पढ़े :- मानव मस्तिष्क (HUMAN BRAIN) : कार्य एवं संरचना
0 Comments